मूर्ति का सजावट: पूजा की तैयारी में सबसे पहले मां कुश्मांडा की मूर्ति को सुंदर रूप में सजाया जाता है। वे दो हाथों में कमंडलु और कमल का फूल धारण करती हैं।
धूप और दीप: पूजा के समय धूप और दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र होता है।
मन्त्र पाठ: मां कुश्मांडा के मंत्रों का पाठ किया जाता है, और उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।
पुष्प और चढ़ावन: मां को पुष्प, फल, सुगंधित धूप, और नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।
आरती: पूजा के बाद, मां कुश्मांडा की आरती उतारी जाती है, और भक्त उन्हें फेरी में प्रदर्शन करते हैं।
प्रदक्षिणा: अक्सर मंदिर में या मां के प्रति प्रदर्शन के बाद प्रदक्षिणा की जाती है, जिससे भक्त अपने भाग्य को बदलने की प्रार्थना करते हैं।