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Maa Kushmanda Puja

Durga puja - Katha | Mantra ( Navratri )

Maa Kushmanda Puja

मां कुश्मांडा पूजा

मां कुश्मांडा का पूजन नवरात्रि के चौथे दिन, जब मां दुर्गा अपने चौथे स्वरूप के रूप में प्रकट होती है, किया जाता है। मां कुश्मांडा का नाम “कुश्मांडा” उनकी मूर्ति पर उस विशेष शक्ति के कारण है, जिन्होंने अपने दिव्य दृष्टिकोण से जगत को उत्तराण किया था।
Maa Kushmanda Puja

मां कुश्मांडा की पूजा की विधि:

मूर्ति का सजावट: पूजा की तैयारी में सबसे पहले मां कुश्मांडा की मूर्ति को सुंदर रूप में सजाया जाता है। वे दो हाथों में कमंडलु और कमल का फूल धारण करती हैं।

धूप और दीप: पूजा के समय धूप और दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र होता है।

मन्त्र पाठ: मां कुश्मांडा के मंत्रों का पाठ किया जाता है, और उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

पुष्प और चढ़ावन: मां को पुष्प, फल, सुगंधित धूप, और नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।

आरती: पूजा के बाद, मां कुश्मांडा की आरती उतारी जाती है, और भक्त उन्हें फेरी में प्रदर्शन करते हैं।

प्रदक्षिणा: अक्सर मंदिर में या मां के प्रति प्रदर्शन के बाद प्रदक्षिणा की जाती है, जिससे भक्त अपने भाग्य को बदलने की प्रार्थना करते हैं।

मां कुश्मांडा की पूजा उनके दिव्य शक्तियों की उपासना है और इसके माध्यम से भक्त उनके आशीर्वाद का स्वागत करते हैं, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करते हैं। यह पूजा सुख, संपत्ति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए की जाती है।

मां कुश्मांडा का मंत्र:

“ॐ देवी कुश्मांडायै नमः।”

इस मंत्र का जाप मां कुश्मांडा की पूजा के समय किया जाता है और इसका उच्चारण उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र मां कुश्मांडा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना का हिस्सा होता है और भक्तों को उनके शक्तिशाली स्वरूप को प्राप्त करने में मदद करता है।

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