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Maa Chandraghanta Puja

Durga puja - Katha | Mantra ( Navratri )

Maa Chandraghanta Puja

माँ चंद्रघंटा पूजा

माँ चंद्रघंटा का पूजन नवरात्रि के तीसरे दिन किया जाता है और यह देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा का नाम उनकी मूर्ति पर चंद्रमा के एक प्रकार के प्रतीक, जिसे घंटा कहा जाता है, के कारण है। उनका यह स्वरूप अत्यंत प्रेमिका का प्रतीक होता है और इसे मां के आशीर्वाद का स्वागत माना जाता है।
Maa Chandraghanta Puja

माँ चंद्रघंटा की पूजा की विधि:

मूर्ति का सजावट: पूजा की तैयारी में सबसे पहले माँ चंद्रघंटा की मूर्ति को सुंदर रूप में सजाया जाता है। उनके चंद्रमा के बीच में घंटा होता है, जिसे घंटा रूप में चढ़ाया जाता है।

धूप और दीप: पूजा के समय धूप और दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र होता है।

मन्त्र पाठ: माँ चंद्रघंटा के मंत्रों का पाठ किया जाता है, और उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

पुष्प और चढ़ावन: माँ को पुष्प, फल, सुगंधित धूप, और नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।

आरती: पूजा के बाद, माँ चंद्रघंटा की आरती उतारी जाती है, और भक्त उन्हें फेरी में प्रदर्शन करते हैं।

प्रदक्षिणा: अक्सर मंदिर में या माँ के प्रति प्रदर्शन के बाद प्रदक्षिणा की जाती है, जिससे भक्त अपने भाग्य को बदलने की प्रार्थना करते हैं।

माँ चंद्रघंटा की पूजा उनके कृपा और प्रेम के प्रतीक के रूप में की जाती है, और यह देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए की जाती है। भक्त इसे आशीर्वाद, शांति, और सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए मनाते हैं।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र:

“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”

इस मंत्र का जाप माँ चंद्रघंटा की पूजा के समय किया जाता है और इसका उच्चारण उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र माँ चंद्रघंटा की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना का हिस्सा होता है और भक्तों को उनके प्रेम और आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है।

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