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Maa Brahmacharini Puja

Durga puja - Katha | Mantra ( Navratri )

Maa Brahmacharini Puja

माँ ब्रह्मचारिणी का पूजन नवरात्रि के दूसरे दिन किया जाता है, जब भक्त उनके आराधना का महत्वपूर्ण त्योहार मनाते हैं। इस दिन, माँ ब्रह्मचारिणी को सती रूप में पूजा जाता है, जो भगवान शिव की पत्नी थी। माँ ब्रह्मचारिणी का नाम “ब्रह्मचारिणी” इसलिए है क्योंकि वे ब्रह्मचर्य का पालन करती थीं, यानी विवाह के बिना रहती थीं।
Maa Brahmacharini Puja

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि:

मूर्ति का सजावट: पूजा की तैयारी में सबसे पहले माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति को सुंदर रूप में सजाया जाता है। उन्हें सफेद वस्त्र में धारण किया जाता है और उनके पैरों में खुदी के संकेत का चित्रण किया जाता है।

धूप और दीप: पूजा के समय धूप और दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र होता है।

मन्त्र पाठ: माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का पाठ किया जाता है, और उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

पुष्प और चढ़ावन: माँ को पुष्प, फल, सुगंधित धूप, और नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।

आरती: पूजा के बाद, माँ ब्रह्मचारिणी की आरती उतारी जाती है, और भक्त उन्हें फेरी में प्रदर्शन करते हैं।

प्रदक्षिणा: अक्सर मंदिर में या माँ के प्रति प्रदर्शन के बाद प्रदक्षिणा की जाती है, जिससे भक्त अपने भाग्य को बदलने की प्रार्थना करते हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा उनकी सात्विक और ध्यानपूर्ण विभूति का प्रतीक है, और इसके माध्यम से भक्त उनके आदर्शों का पालन करते हैं। यह पूजा आशीर्वाद, शांति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए की जाती है।

माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र:

“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”

इस मंत्र का जाप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय किया जाता है और इसका उच्चारण उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र उनकी आदर्श और तपस्या के गुणों की स्तुति के लिए प्रार्थना का हिस्सा होता है और भक्तों को उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा को प्राप्त करने में मदद करता है।

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