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Maa Shailputri Puja

Durga puja - Katha | Mantra ( Navratri )

Maa Shailputri Puja

मां शैलपुत्री, नवरात्रि के पहले दिन की पूजा की जाती है और वह देवी पार्वती के प्राचीन रूप में मानी जाती है। इस पूजा का महत्वपूर्ण तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश में माना जाता है और भक्त इसे उत्साह से मनाते हैं।
Maa Shailputri Puja

मां शैलपुत्री की पूजा की विधि:

मां की मूर्ति की सजावट: पूजा की तैयारी में सबसे पहले मां शैलपुत्री की मूर्ति को सुंदर रूप में सजाया जाता है। उसे लाल चूना और सिन्दूर से चढ़ाया जाता है और फूलों से सजाया जाता है।

धूप और दीप: पूजा के समय धूप और दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण पवित्र होता है।

मन्त्र पाठ: मां शैलपुत्री के मंत्रों का पाठ किया जाता है, और उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

पुष्प और चढ़ावन: मां को पुष्प, फल, सुगंधित धूप, और नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है।

आरती: पूजा के बाद, मां की आरती उतारी जाती है, और भक्त उन्हें फेरी में प्रदर्शन करते हैं।

प्रदक्षिणा: अक्सर मंदिर में या मां के प्रति प्रदर्शन के बाद प्रदक्षिणा की जाती है, जिससे भक्त अपने भाग्य को बदलने की प्रार्थना करते हैं।

व्रत और उपवास: मां शैलपुत्री की पूजा के दिन भक्त उपवास करते हैं और सात्विक भोजन का पालन करते हैं।

मां शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के आदिकाल से ही अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है और यह देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। भक्त इसे भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम मानते हैं।

मां शैलपुत्री का मंत्र:

“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”

इस मंत्र का जाप मां शैलपुत्री की पूजा के समय किया जाता है और इसका उच्चारण उनके आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना का हिस्सा होता है। भक्त इस मंत्र का ध्यान और जाप करके मां शैलपुत्री के आसपास के वातावरण को पवित्र और शांत बनाते हैं।

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