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Dussehra – Navaratri mai kalash sthapana kaise kare

Durga puja - Katha | Mantra ( Navratri )

Dussehra - Navaratri mai kalash sthapana kaise kare

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सोमवार, 15 अक्टूबर 2023 को घटस्थापना मनाई जा रही है। घटस्थापना मुहूर्त है – 11:44 बजे से 12:30 बजे तक। इस मुहूर्त में घट को स्थापित करना शुभ माना जाता है और यह नवरात्रि के पावन अवसर की शुरुआत का संकेत होता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत का आरंभ होता है, जिसे नौ दिनों तक जारी रखा जाता है।

kalash sthapana vidhi and mantra

नवरात्र का आगमन हो चुका है, और घरों में सुख और शांति की प्राप्ति के लिए लोग घर के प्रारंभिक दिन, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को, शांति कलश की स्थापना करते हैं, जिसे घट स्थापना और कलश स्थापना कहा जाता है। कलश स्थापना की विधि और मंत्र क्या है, इसके बारे में बहुत सारे लोगों को संदेह होता है। यदि आप भी इस समस्या का समाधान ढ़ूंढ रहे हैं, तो यहां एक सरल विधि दी गई है जिससे आप अपने घर में स्वयं कलश स्थापित कर सकते हैं।

कलश स्थापना की इस संक्षिप्त विधि के साथ, आप अपने घर में स्वयं कलश स्थापित कर सकते हैं। कलश को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। जहाँ कलश स्थित करना हो, उस स्थान को पहले गंगाजल के छींटों से शुद्ध करें। इस स्थान पर दो इंच तक मिट्टी में रेत और सप्तमृतिका मिलाकर एक सार बिछा दें। कलश पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं और सिंदूर का टीका लगाएं। कलश के गले में मौली लपेटें।
Dussehra - Navaratri mai kalash sthapana kaise kare

नवरात्र शांति कलश स्थापना विधि मंत्र:

“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।”

कलश के नीचे सप्तधान बिछाने का मंत्र:

“ॐ अग्ने आयं पुरोहितं यज्ञस्य देवंरत्वीजम। होतारं रत्नधातमम।”

कलश स्थापना का मंत्र:

“ॐ कलशाय नमः, कलशं स्थापयामि।”

स्थापित कलश में जल भरने का मंत्र:

“ॐ गङ्गेच यमुनेचैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धुकावेरि जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।”

कलश में द्रव्य यानी सिक्का रखने का मंत्र:

“ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्। स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम।”

इन मंत्रों का जाप करते हुए, कलश में जल भरें और फिर उसमें द्रव्य यानी सिक्का रखें। इसके बाद, कलश स्थापना को पूरा करने के बाद नवरात्रि की उपासना और पूजा आरंभ करें। यह आपके घर में शांति और समृद्धि का प्रतीक होगा।

नवरात्रि में 9 दिन माता को क्या क्या भोग लगता है?

नवरात्रि के 9 दिनों में माता दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं, जो उनकी पूजा में उपयोग किए जाते हैं। ये भोग माता दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किए जाते हैं।
नवरात्रि कलश में फल: नवरात्रि के पहले दिन को भोग के रूप में नवरात्रि कलश में फल रखा जाता है, जैसे कि सीब, केला, संतरा, आदि।

नवरात्रि में पूरी: बेसन की पूरी या आलू की पूरी नवरात्रि के दौरान बनाई जाती है और माता को भोग लगाई जाती है।

नवरात्रि में चावल: चावल की खिचड़ी भी नवरात्रि के भोग के रूप में बनाई जाती है। यह अक्षत बनाने के लिए प्रयुक्त होती है.

नवरात्रि में सबुदाना: सबुदाना के पापड़ और खिचड़ी भी प्रिय भोग होते हैं, और व्रतियों द्वारा खाए जाते हैं.

मिठाई और फल: नवरात्रि के दौरान मिठाई और फल भी माता को भोग लगाने के रूप में प्रयुक्त होते हैं, जैसे कि हलवा, पूरी, कढ़ी, आदि।

नरियल: नरियल भी माता को भोग लगाने के रूप में प्रयुक्त होता है।

दूध और दही: दूध और दही भी नवरात्रि के दौरान माता के भोग के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

नवरात्रि में पान: नवरात्रि में पान के पत्ते, सुपारी, और इलायची भी माता को भोग लगाने के रूप में बनाए जाते हैं।

ये भोग आइटम्स नवरात्रि के दौरान माता की पूजा के लिए उपयोग किए जाते हैं और भक्त इन्हें पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खाते हैं। यह परंपरागत रूप से नवरात्रि के उत्सव का हिस्सा हैं और भक्तों के लिए मान्यता से पूर्ण होते हैं।

नवरात्रि में कन्या भोजन कब कराना चाहिए?

नवरात्रि में कन्या भोजन, जिसे चैती चँडी या कन्या पूजा के रूप में भी जाना जाता है, नवरात्रि के आठवें दिन, यानी आश्विन नवमी को कराया जाता है। इस दिन युवा कन्याएँ, जिनकी आयु बालिकावस्था से युवा आयु तक होती है, को पूजा के रूप में बुलाया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है।
पूरी: पूरी कन्याओं के लिए मुख्य खासतर सूजी की पूरी बनाई जाती है। चना: चने भी खासतर कन्याओं के लिए बनाए जाते हैं, जो ताजगी से पके होते हैं।

हलवा: हलवा भी कन्या भोजन का हिस्सा होता है, जो सूजी के आटे से बनाया जाता है।

कद्दू की सब्जी: कद्दू की सब्जी भी इस मौके पर बनाई जाती है और यह भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।

चावल: चावल और दल के रूप में भी भोजन का प्रस्तावना किया जा सकता है।

सूखा खजूर: सूखे खजूर और नारियल का उपयोग भी किया जाता है, जो पूजा के भोजन के रूप में प्रसाद के तौर पर बांटे जाते हैं।

कन्या भोजन का उद्देश्य है कन्याओं के साथ मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना और उनकी सुरक्षा और समृद्धि की प्रार्थना करना। यह परंपरागत रूप से महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है और लोग इसे आस्था और भक्ति के साथ मनाते हैं।

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